सुलगते दिन ठिठुरती रातों में
बैठे बैठे यूँ ही यादों में,
जाने अनजाने लोगों से मुलाकातों में,
किसी की प्यार भरी बातों में,
मुझे तू याद आती है।

मेरे सितारों की गर्दिश में,
मन के तारों की बंदिश में,
किसी चेहरे की कशिश में,
कुछ भुलाने की कोशिश में,
मुझे तू याद आती है।

ज़िन्दगी की इस थकान में,
सूने से इस मकान में,
ज़ज़्बातों के तूफ़ान में,
दिल के हर अरमान में,
मुझे तू याद आती है।

आंगन की हवा की सरसराहट में,
किसी अनजाने के आने की आहट में,
किसी बुत के चेहरे की बनावट में,
किसी लब की थरथराहट में,
मुझे तू याद आती है।



Leave a reply to Sameer Cancel reply