तस्वीर तेरी रात भर तकती रही, दो बोझल आँखें ।
कुछ पिघले ख्वाब, जो आंसूं बनकर बहते रहे ।।
आसमान में बेख़ौफ़ उड़ने की अजब ज़िद थी उन्हें ।
कुछ परिंदे, जो हवाओं के नश्तर सहते रहे ।।
वो बूंदे थीं, जो खो गयी इश्क के समंदर में कहीं ।
कुछ मुसाफिर, जो रहगुज़र को ही मंज़िल कहते रहे ।।
– मुसाफिर
PC: Google Images
You have something with words😍🙌
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