मुझे तू याद आती है



सुलगते दिन ठिठुरती रातों में

बैठे बैठे यूँ ही यादों में,

जाने अनजाने लोगों से मुलाकातों में,

किसी की प्यार भरी बातों में,

मुझे तू याद आती है।


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मेरे सितारों की गर्दिश में,

मन के तारों की बंदिश में,

किसी चेहरे की कशिश में,

कुछ भुलाने की कोशिश में,

मुझे तू याद आती है।


ज़िन्दगी की इस थकान में,  सूने से इस मकान में,  दिल के हर अरमान में,  ज़ज़्बातों के तूफ़ान में,  तू मुझे याद आती है।

ज़िन्दगी की इस थकान में,

सूने से इस मकान में,

ज़ज़्बातों के तूफ़ान में,

दिल के हर अरमान में,

मुझे तू याद आती है।


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आंगन की हवा की सरसराहट में,

किसी अनजाने के आने की आहट में,

किसी बुत के चेहरे की बनावट में,

किसी लब की थरथराहट में,

मुझे तू याद आती है।


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ग़म की हर एक आह में,
दरख्तों की चुभती छाँह में,
मेरे शहर की बंज़र राह में,
तुझे फिर से पाने की चाह में ,
मुझे तू याद आती है।

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दर्द ए दिल के गुबार में,
जाती हुई बहार में,
किसी शायर के अशार में,
तेरे लौट आने के इंतज़ार में,
मुझे तू याद आती है।

-मुसाफिर

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19 comments

  1. Fantastic 👌Keep Going 👍👍

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  2. Bhai, gradually you are heading to professionalism. Keep doing.

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  3. Behtarin rachna…bahut khub.👌👌👌

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  4. Dear Musafir, A very sensitive lover is reflected from your lines which are composed from the core of heart and rhythmically. Keep going. Best wishes.

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  5. Each word is so wisely chosen !

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  6. amazing liness…👌👌

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  7. Beautiful!

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